उमर ढलती है
शरीर साथ नहीं देता
चाहत तो कायम रहती है
याद करो बचपन ओर यौवन
जब शरीर तंदरुस्त था
दिमाग शरारतो में मशरूफ था
कल जब आयेगा कर लेंगे मेहनत
आज तो मनमानी कर लें ज़रा
कल कल करते बुडापा आ गया
बहुत कुछ करना चाहते थे
सो धरा ही रह गया
जो है अपने पास उसी में तसल्ली करो
बुढापे को ही जननत में बदल दो
जब चाहत है मन में ओर हौसला है दिल में
सब कुछ मुमकिन है कर के तो देखो।
शरीर साथ नहीं देता
चाहत तो कायम रहती है
याद करो बचपन ओर यौवन
जब शरीर तंदरुस्त था
दिमाग शरारतो में मशरूफ था
कल जब आयेगा कर लेंगे मेहनत
आज तो मनमानी कर लें ज़रा
कल कल करते बुडापा आ गया
बहुत कुछ करना चाहते थे
सो धरा ही रह गया
जो है अपने पास उसी में तसल्ली करो
बुढापे को ही जननत में बदल दो
जब चाहत है मन में ओर हौसला है दिल में
सब कुछ मुमकिन है कर के तो देखो।
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